Saturday, June 18, 2011

दो लघुकथाएँ

  (१) पहचाना नही

‘‘भले ही तुम मेरी पत्‍नी होकर मेरा साथ ना दो, मगर मैं ये मानने को कतई तैयार नहीं हूं कि गजनी फिल्‍म के आमिर खान जैसा किरदार भी कोई इन्‍सान हक़ीकत में होता है क्‍या, कि जिसे याददाश्त सिर्फ पन्‍द्रह मिनट के लिये रहती है.....मैं इस मैगजीन में छपे आर्टिकल की कटु आलोचना करता हूं।''..... ‘‘डॉक्‍टर रिजर्व नेचर की मेरी पत्‍नी जाने कैसे तुमसे इतनी घुल-मिल गई जो इस आर्टिकल को लेकर तुम्‍हारा सपोर्ट कर रही है..... डॉक्‍टर......मुझे हस्‍पताल से छुट्टी कब दे रहे हो, मेरी मेडिकल रिपोर्ट का क्‍या हुआ। हॉँ..मेरी बीमारी तुम्‍हारे पकड़ में आयी है या नहीं या यूंही मुझ पर एक्‍सपेरीमेंट करे जा रहे हो, डॉक्‍टर लोग शायद मरीज को इन्‍सान नहीं जानवर समझकर अपने नित-नए प्रयोग करने की कोशिश करते हैं, हॉँ... तो डॉक्‍टर............।

‘‘क्‍या हुआ चुप क्यूँ हो गए ?'' बौखलाई सी पत्‍नी उसके पास जाती हुई बोली।
‘‘माफ कीजिए, मैने आपको जरा....पहचाना नहीं''
पत्‍नी डबडबाई आँखें लिए अपनी शादी का फोटो फिर से पति को दिखाने लगी।

(२) प्रार्थना

भारत और श्री लंका के बीच दाम्बुला  मे चल रहा ट्वेंटी - २० क्रिकेट मैच रोमांचक स्थिति में था , १२ साल की गुडिया मेरे साथ बैठी मैच देख रही थी हालांकि क्रिकेट का उसे इतना ज्ञान नही था मै टीवी स्क्रीन पे आखें गडाए उत्सुकता मे था ।
‘‘पापा ........ क्या इंडिया जीतेगा ?
‘‘बेटा ! पता नही मगर मैच जबर्दस्त रोमांचक हो रहा हैं भारत के दो विकेट बाकी है और अब अन्तिम चार गेंदो पर दो रन बनाने है

मलिंगा ने गेंद फेकी जहीर खान ने स्ट्रोक    खेला मगर दुर्भाग्य जयसूर्या ने चार कदम तेजी से आगे बढा शानदार केच ले लिया; खचाखच भरे स्टेडियम में खामोश बैठे दर्शको में इस कैच आउट ने जबर्दस्त जोश भर दिया ।
‘‘पापा अब क्या इंडिया जीतेगा ?‘‘
‘‘हो सकता है‘‘
मलिंगा ने तीसरी गेंद फेकी नए बल्लेबाज ईशान्त शर्मा ने हुक किया मगर रन नही बन पाया
अब दो गेंद दो रन............. मेरी धडकने तेज हो रही थी
‘‘पापा सीरियस क्यूं हो गए.......... चाय ठण्डी हो रही है ना ?‘‘
‘‘बेटा हमें जीतने के लिए दो गेदों पे दो रन चाहिए मैच का रिजल्ट कुछ भी हो सकता हैं ।‘‘
‘‘पापा अगर में प्रे करू तो इडियां जीत जाएगा ?‘‘
‘‘मन से की गई प्रार्थना का असर तो होता ह है ‘‘
मेरे जवाब से पहले ह वो प्रार्थना भाव मे बैठ गई तभी स्क्रीन पे पवेलियन का एक दृश्य दिखाया जिसमे एक लडकी भी प्रार्थना भाव मे बैठी थी
मंलिंगा ने सैकिण्ड लास्ट गेंद फेकी ईशान्त शर्मा ने हल्का सा पुश किया और तेजी से दौड कर एक रन बना लिया मैच बराबरी पे आ गया
दर्शको का जोश परवान पे था अब एक गेंद और एक रन बस जीत.............. मलिंगां ने अन्तिम गेद फेकी भज्जी ने बल्ला चलाया मगर गेदं बल्ले को छु नही पायी, मैच टाई हो गया...... मुझे लगा शायद दो प्रार्थनाए आपस मे टकरा गई। 

सुनील गज्जाणी 

Thursday, June 2, 2011

एक शेर

सम्मानिय विद्वजन  ये एक शेर ही  नहीं मेरे जीवन का एक हिस्सा  रहे है ये क्षण  जिस से  मैं  हो कर गुजरा हूँ  जिसे मैं कभी विस्मृत  नहीं सकता !अपने पूज्य पिता जे कि स्मृतियों !
!
ढूंढता वो राख में नहीं कोई सुराग
 
है बीनता  अपने पिता कि अस्थियाँ
 
सोचा के समंदर में इतना बवाल क्यूँ
 
रोया बहुत बाहों में भर वो  अस्थियाँ !
 
सुनील गज्जाणी