Friday, February 15, 2013

लघु कथाएँ

{१}
''यथार्थ ''
'' माँ कितना अच्छा होता कि हम भी धनी होते तो हमारे भी यूही नौकर-चाकर होते ऐशोआराम होता ''
'' सब किस्मत कि बात है, चल फटा फट बर्तन साफ़ कर, और भी काम अभी करना पड़ा है! ''
माँ-बेटी बर्तन  मांझते हुए बातें रही थी !
'' माँ ! इस घर की सेठानी थुलथुली कितनी है, और बहुओं  को देखो हर समय बनी-ठनी घूमती रहती हैं, पतला रहने के लिए कसरतें करती है .. भला घर का काम-काज, रसोई का काम, बर्तन-भांडे आदि माँझे तो कसरत करने कीज़रूरत ही नहीं पड़े, है ना माँ ?
''बात तो ठीक है.., बस हमे भूखो मरना पड़ेगा !"

{ २}
सौदा
''साहब ! मैंने ऐसा क्या कर दिया जो मुझे बर्खास्त कर दिया'' वृद्ध चपड़ासी बोला !
"तुमने तो सिर्फ अपना कर्तव्य निभाया था, जिससे मुझे आघात पंहुचा''  अधिकारी बोला !
'' साहब ! मैं समझा नहीं ? ''
'' ना तुम बारिश में कई दिनों से भीग कर ख़राब हो रहे फर्नीचर को महफूज़ जगह रखते और ना ही नया फर्नीचर खरीद की जो स्वीकृति मिली थी, वो ना निरस्त होती. अधिकारी ने लाल आँखें लिए प्रत्युत्तर दिया.
सुनील गज्जाणी