Saturday, April 13, 2013

विक्रम संवत २ ० ७ ० मंगल मय रहे

 विक्रम संवत २ ० ७ ० मंगल मय रहे
गुरूवार से  भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत शुरू  गया , वैज्ञानिक काल गणना के आधार पर पूरी तरह से प्रमाणिक साबित हो चुका विक्रम संवत कायदे से ख़ुशी का उत्सव का मौका है लेकिन कही भी कोई हलचल  नहीं है ना टेलीविज़न पे , शायद लग रहा है की भारतीय नव वर्ष दबे पाँव आता है ! चारो और शान्ति कही कोई नव वर्ष की धूम नहीं जो इंग्लिश सालो में होती है ! इतना अंतर क्यूँ हो गया है इन के बीच ! किसका दोष , किसका नहीं है दोष , ये मूल्यांकन करने की क्या आवश्यकता है मेरे विचार से नहीं , क्यूंकि इसका मूल्याकन करेगा कौन ? हम ही में से ना , वो दोषी किसे बनायेगे .. केवल मैं .. मैं का उद्हारण दे कोई तो कोई निष्कर्ष निकल सकता है .. इस पे मंथन की सोच भी निरर्थक  है !  ये सामूहिक ही दोष है ! जिस में हमने अपने सनातन वर्ष को दोयम बना दिया , ये आत्मिक सवाल है सभी के लिए ! क्या कही उपद्रव करने से या बदसुलूकी करने से कही कोई किसी '' डे '' पे फर्क पडा है , शायद नहीं .. स्प्रिंग को दबाने से सदा उछलती है . दबती नहीं है ये हम अक्सर देखते ही है !इस का हल भी किसी के पास नहीं हो सकता , आज समाज में रुदिवादिता कम और राजनीत वादिता ज़्यादा नहीं आती है ! युवा वर्ग आज का बीस साल के पहले के किशोर से कही ज्यादा फ़ास्ट है , इस युवा ने अपने अपने आप को आज के मुताबिक़ ढला हुआ है की आज का दौर क्या चाहता है !कही भी चिपके चिपके बाल नहीं , आधुनिक वेश .. और हाथो में पूरी दुनिया मोबाइल में लिए घूमता है ! सब कुछ बदला बदला कल के युवा से अन्दर से उअर बाहर से भी ! आज जनम दिन भी तिथि से नहीं डेट से सेलिब्रेट होता है . और तो और अब घरो में वो बुजुर्ग भी कहा है जो परियों की कहानी राजा  की कहानियां सुनाती हुई कही नज़र नहीं आती , क्यूंकि आज कही बच्चा होता ही अहि है ,अपनी उम्र से पहले ही बड़े हो जाते है ! हम अपने संस्कारों से दूर होते जा रहे है , क्या हासिल करने . किसी को पता नहीं ! बस एक बहस की सी बात है ! भारतीय नव वर्ष अपना मुह नीचे किये हर साल चला आता है और चला जाता है अपने द्वन्द में ही , बस हमारे भारतीय माह के नाम, तिथि  तभी याद आते है अक्सर जब घर में किसी दिवंगत को श्राद आना हो ! हम भले ही कितने ही आधुनिक हो जाए मगर हमे रहना अपने संस्कारों में ही चाहिए ! अपनी ये बात मुकेश के गीत की पंक्तिया देते हुए करूंगा की '' मेरा जूता है जापानी ये पतलून इंग्लिस्तानी सर पे लाल टोपी रुसी फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी ' भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत२ ० ७ ०  आप के लिए मंगल मय  हो !