Saturday, April 23, 2011

पूज्य पिताजी को शत-शत नमन

       मेरे पूज्य पिताजी को ब्रह्मलीन हुए आज पूरा एक माह हो गया. २३ मार्च २०११ को पूरे एक माह अपनी बीमारी से जूझते हुए सुबह ७:३० बजे चिर निंद्रा में सो गए. हम सब निकट ही बैठे थे. हमें आभास ही नहीं हुआ इस अनहोनी पर. मृत्यु कैसे दबे पाँव आती है ये सिर्फ सूना था, देख भी लिया.
        मेरे पिता का नाम तो 'मोतीलाल' था मगर अपने यार दोस्तों में वे 'बाबूजी' और महाराज नाम से अधिक जाने जाते थे. मैं उनसे इतना डरता था की उनके पास खड़ा होना तो दूर, आँखें तक मिलाने की हिम्मत नहीं कर पाटा था. जबकि २५ दिसंबर, २००७ को पहली बार वे बीमार पड़े तब से लेकर अंतिम पलों तक इतना साथ रहा जो मेरे लिए सदा अविस्मरनीय रहेगा.
       मेहनत और लगन में उनका कोई शानी नहीं था. जो ठान लिया तो बस ठान लिया और कर ही लिया. जुबां के पक्के. सही को सही और गलत को गलत, चाहे सम्मुख कोई भी व्यक्ति हो.  उनकी इसी खासियत के सब कायल थे. भूली-बिसरी बातें, अनछुए पहलू बहुत हैं. उनके साथ शायद अंतिम सालों में निकट बैठकर भरपाई करने का प्रयास किया.
        पिता- जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता. उनके बताये मार्ग पर अनुसरण किया जा सकता है. अवस्था ७५ वर्ष की कोई यूं जाने की भी नहीं होती मगर विधि के विधान को कौन ताल सकता है. हमें आज भी विश्वास नहीं होता की २२ मार्च तक हम उन्हें एक नन्हे बच्चे की तरह सहेज कर, देखभाल करते रहे. उनके हर आवश्यक काम के लिए वे बच्चे ही बन गए...आत्मिल सुकून भी है की हमने पूरी श्रद्धा से उनकी सेवा की..खैर....
       आज पुनः वही एक माह पुराना दिन याद आया और पलकें नम कर गया. २३ मार्च, २०११  की ये तारीख समय के साथ अतीत होती रहेगी मगर उनका आभास, उनकी यादें हमारी धडकनों की लय से लय मिलाती सदा स्मृतियों में गूंजती रहेगी. जब भी जीवन में कहीं कोई परेशानी या मुसीबत आयेगी तो पिताजी स्मृतियों से निकल मेरी उंगली पकड़ कर अपने आभास में मुझे सही राह पर लाकर ठोकरों से बचाते रहेंगे. . 
       आज मैंने अपना ब्लॉग 'अक्षय मोती' आरम्भ किया है जो पूज्य पिता जी की स्मृति में उन्ही को समर्पित करता हूँ. चाहता हूँ  कि आप भी दुवा कीजिये कि उनको मोक्ष मिले और मुझे आप सभी का स्नेहिल आशीर्वाद. 
पूज्य पिताजी को शत-शत नमन ! ॐ शांतिः शांतिः शांतिः !

42 comments:

संजय भास्‍कर said...

पूज्य पिताजी को शत-शत नमन

सहज साहित्य said...

प्रभु से कामना है कि आपके पूज्य पिताजी को मोक्ष मिले और आपको उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने की शक्ति मिले ।

इस्मत ज़ैदी said...

poojya pita ji ko saadar shraddhanjali arpit karti hoon .
khuda se duaa hai ki ap ka ye blog aur ap saphalta kee unchaiyon ko chhoo len .

yogendra kumar purohit said...

आभाव जो कोई और नहीं भर सकता ...यही नियति है यही संसार का नियम..हम विवश है पर आत्मा की आवाज से ये पुकार कर सकते है उस परम सता को की जिसे तुम अपने पास बुला रहे हो उसे मुक्ति या मोक्ष प्रदान कर शांति की और उन्मुक्त कर..है राम..

Udan Tashtari said...

पूज्य पिताजी को शत-शत नमन

Narendra Vyas said...

परम पूज्य पिताजी को मेरा शत-शत नमन !

रश्मि प्रभा... said...

pita ji ko naman , hum sab saath hain

तिलक राज कपूर said...

हमारी संस्‍कृति की यही तो विशेषता है कि इसमें आत्‍मा के लिये सम्‍मान और स्‍थान होता है और देहावसान से संबंध नहीं टूटते। आत्‍मीयता बनी रहती है। पिता को खोना निश्‍चय ही दु:खद स्थिति होती है उनके लिये जो आत्‍मीय रूप से जुड़े रहते हैं। लेकिन मोक्ष के लिये आत्‍मा का परमात्‍मा में विलीन होना आवश्‍यक है और इस आवश्‍यकता की पूर्ति के लिये देहावसान प्रक्रियात्‍मक अंश है।
पूज्‍य पिताजी के प्रति आपका सम्‍मान उन सबके लिये गौरव का विषय है जो इन परंपराओं में विश्‍वास रखते हैं।
ईश्‍वर से प्रार्थना है कि पूज्‍य पिताजी की आत्‍मा को मोक्ष प्रदान करें।
ब्‍लॉग के उज्‍जवल भविष्‍य के लिये शुभकामनायें।

अरुण चन्द्र रॉय said...

पूज्य पिताजी को शत-शत नमन

Dr. kavita 'kiran' (poetess) said...

पूज्‍य पिताजी की आत्‍मा के मोक्ष के लिये ईश्‍वर से प्रार्थना...आपको उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने की शक्ति मिले iss hetu shubhkana..

योगेन्द्र मौदगिल said...

पिता जी तो ब्रह्म हो गए. स्मृति वंदन करता हूँ. आप निर्भय, उन्मुक्त और स्वावलंबी रहे इन कामनाओं के साथ पिताजी की स्मृति को पुन: नमन करता हूँ.

girish pankaj said...

swagat hai...pitaa ka naam le kar kiya gaya kaam safal hohaa. shubhkamanae.

नीरज दइया said...

मेरा शत-शत नमन !

सुनील गज्जाणी said...

Sh. Premchand Gandhi ne Mail dwara sandesh preshit kiyya-

Bhai jaan kar bahut dukh hua. Main unki aatma ki shanti ke liye
prarthna karta hun.
Prem

सुनील गज्जाणी said...

Sh. Aabbas Raza Alvi ji ne mail dwara sandesh preshit kiya-

आपका बनाया हुआ ब्लॉग अच्छा लगा

वलदेंन के लिए इस्लाम में लिखा है कि

“ अगर कभी कोई बात उनकी कितिनी भी बुरी कियों न लगे , उनकी तरफ़ गुस्से से देखना या उफ़ तक करना भी एक गुनाह है “

कितना अच्छा लगता है यह सोचना कि अपने अपने पिता कि स्मृति इसे समर्पित किया है

हम सब के बचपन की याद के लिये :

कैसे भूलूँगा कभी बात अपने बचपन की

मेरे गिरने पे जो मौला को पुकारा तुमने

अब्बास रज़ा अलवी

सिडनी

सुनील गज्जाणी said...

shree nanad lal bahrti ne mail dwara apni bhawnaaye vyakti ki -
Bhaishri Sunil ji,
Dukh huaa jaankar ki pitaji nahi rahe. Maa-Baap dharati ke bhagwaan hote hai.unki chhanw jab tak bani rahe jiwan bharapura lagata hai. unke aankh mudate hi sabkuchh badal jata hai. .dhairya rakhe, maa-baap markar bhi nahi marate. unki chhanw aproksh rup se bani rahati hai.Bhagwaan pitaji ki aatma ko shanti de pariwarjano ko is dukh ko sahane ki shakti ke saath bharpoor tarakki bakhshe...yahi prabhoo se prarthanaa hai.
saadhuwad......Nand Lal Bharati

सुनील गज्जाणी said...

shree bal raam agrawal jee ne mail dwara apni bhawnaaye vyakti ki -
प्रिय भाई
यह अत्यन्त दु:खद समाचार है। ईश्वर पिताश्री की आत्मा को शांति प्रदान करे व आप सबको उनका विछोह झेलने की शक्ति।

सुनील गज्जाणी said...

shree bhagi rath parihaar jee ne mail dwara apni bhawnaaye vyakti k
सुनीलजी ,---- अति खेद हुआ यह जानकर कि आपके पूज्य पिता जी का देहांत हो गया है | ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे I हर दुःख की घड़ी एक परीक्षा होती हैI ऐसे समय में आप हिम्मत रखिये और प्रियजनों का संबल बनिए यही कामना है |

सुनील गज्जाणी said...

shreeacharyaa sanjiv salal jee ne mail dwara apni bhawnaaye vyakti k
सुनील जी २००८ में माताश्री, २००९ में पितृ श्री और २०१० में पितृव्य (श्वसुर जी) को खोकर सिर पर से पीपल की छाँव हटने के दर्द की अनुभूति का भुक्तभोगी हूँ.
अंतर्मन से आपकी पीड़ा और व्यथा-कथा का सहभागी हूँ.
Acharya Sanjiv Salil

सुनील गज्जाणी said...

regardinh meena charaa jee ne mail dwara vichar vyakt kiye-
Sunil ji
Yah sun ka bahut dukh hua. Ishwar aapko is dukh ko jhelane ki takat aur unki aatma ko shaanti de. yahi praarthana hai.

saadar

Rachana said...

ye ek aesi kami hai ki jo kabhi bhi puri nahi hosakti .pita se badh kar koun hai ?
bhagvan unki atma to shanti de
rachana

सुनील गज्जाणी said...

shree vijay raai jee ne mail dwara preshit ki-
Priy Bhai
Pita ji ki dukhad suchna se kafi aahat hua.Ghar ke bare bujargon ki upasthiti hi choton ke liye aahirwad aur takat hoti hai.Dukh ki bela me sayam aur dhairya khona nahi chahiye.Samay sab kuch saha deta hai.
Aapka
Vijai Rai

सुनील गज्जाणी said...

shree prem chand gaandhi jee ne kaha _
Bhai jaan kar bahut dukh hua. Main unki aatma ki shanti ke liye
prarthna karta hun.
Prem

सुनील गज्जाणी said...

आपका बनाया हुआ ब्लॉग अच्छा लगा

वलदेंन के लिए इस्लाम में लिखा है कि
janaab abaas alvis raza saab ki mail .
“ अगर कभी कोई बात उनकी कितिनी भी बुरी कियों न लगे , उनकी तरफ़ गुस्से से देखना या उफ़ तक करना भी एक गुनाह है “

कितना अच्छा लगता है यह सोचना कि अपने अपने पिता कि स्मृति इसे समर्पित किया है

हम सब के बचपन की याद के लिये :

कैसे भूलूँगा कभी बात अपने बचपन की

मेरे गिरने पे जो मौला को पुकारा तुमने

अब्बास रज़ा अलवी

सिडनी

सुनील गज्जाणी said...

shree bhagirath parihaar ne mail dwara kaha .
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ! पिताजी को मोक्ष मिले यही हमारी कामना है
'अक्षय मोती' द्वारा साहित्य की सेवा करे और पिता की स्मृति को भी बनाए रखे भगीरथ

सुनील गज्जाणी said...

shree roop singh chendel jee ne main dwara kaha .
प्रिय भाई,

आपके पिता जी के देहावसान का समाचार दुखद है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और आप सभी को इस दुख सहने की शक्ति प्रदान करे.

रूपसिंह चन्देल

सुनील गज्जाणी said...

kranti
to me

dear Sunilbhai,i'm extremely sorry to know about the sad demise of ur
father.i know it is very hard to bear the loss.i pray to almighty God
to give you and ur family strength to bear it.may the departed soul be rest in peace.
-kranti

सुनील गज्जाणी said...

Shamshad Elahee Ansari 'Shams'
to me,

सुनील जी
नमस्कार,
किसी भी सजग संतान के लिये इससे बडा संताप नहीं होता, जब उसके सिर से पिता का साया चला जाता है, शुरु के कुछ दिन तो इतने कष्टप्रद होते हैं कि बात बात पर, हर जगह पिता की याद सालती है, जीवन अपने सभी अर्थ खो देता है.
मैं, आपके और आपके परिवार के अन्य सदस्यों के दर्द को महसूस कर सकता हूँ और आशा करता हूँ कि आप बडे होने का फ़र्ज़ भलि भांति निभायेंगे और सभी परिजनों को सांत्वना भी देंगे. इस दुख:द घडी में मेरे परिवार सहित मेरी भी संवेदनायें आपके और आपके परिवार के साथ हैं.
सादर
शम्स

सुनील गज्जाणी said...

rshatdal@gmail.com
to me

priy bhai yah dukhd samachar mila. ishwar apko is ghadi me sahas aur shanti de, yahi prarthana hai.

सुनील गज्जाणी said...

Suresh Yadav
to me
गज्ज़ानी भाई ,पिताजी के स्वर्गवासी होने का दुखद समाचार बहुत विलम्ब से मिला ,ईश्वरउनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और आप को सहन शक्ति दे .विनम्र श्रद्धांजलि .

सुनील गज्जाणी said...

PANKAJ SUBEER +91-9977855399
to me
सुनील जी दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं आपके साथ हैं, हौसला रखें ।

पंकज सुबीर

सुनील गज्जाणी said...

deepti gupta
to me
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे और आपको यह दुःख झेलने की हिम्मत दे.

सस्नेह,

सुनील गज्जाणी said...

सुनील जी
पिताजी के देहावसान के समाचार आपकी इसी मेल से प्राप्‍त हुए, दुखद प्रसंग हैं, इसे सुनकर दुख हुआ। पिता घर का वृक्ष होता है जो सबको शीतलता देता है, उसका चले जाना नि:संदेह दुख का विष्‍ाय है। मेरी तरफ से सम्‍पूर्ण परिवार को इस दुखद घड़ी में सांत्‍वना दे। पिताश्री की आत्‍मा को प्रभु शान्ति प्रदान करे।
अजित गुप्‍ता

सुनील गज्जाणी said...

Kiran Rajpurohit Nitila
to me

sunil sa
jaan ra bot dukh hoyo .badera ri chatr chiya kitti baddi nemt hai me samj sku .
bhagwan aapne dukh jhelan ri takat dewe

सुनील गज्जाणी said...

Harkirat haqeer
to me

ओह....बेहद अफ़सोस हुआ जानकार .....

पिता जी को मेरे श्रद्धा- सुमन अर्पित हैं ....
बहुत दिनों से सोच रही थी आजकल आपके समस नहीं आते .....

सुधाकल्प said...

आपके पूज्य पिता जी को कोटि -कोटि नमन |
आपके स्वप्न पूरे हों व आकाश की छत तक आपकी सृजन सीढ़ी हो |
सुधा भार्गव

Anonymous said...

परम आदरणीय आपके पिताजी को सादर श्रद्धांजलि - ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और आपको हौसला

सुनील गज्जाणी said...

राकेश कौशिक to me

परम आदरणीय आपके पिताजी को सादर श्रद्धांजलि - ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और आपको हौसला

Rajiv said...

सुनील जी,ईश्वर आपके बाबूजी की आत्मा को शांति देयह मेरी कामना है.

Pankaj Trivedi said...

पूज्य पिताजी को शत-शत नमन

संजय पुरोहित said...

भाई सुनील, म़त्‍यू नियती होती है यह कहना कितना आसान सा होता है किंतु अपने का जाना कितना दर्दभरा होता है यह अनुभूत ही किया जा सकता है, पिता का जाना तो वैसा हो जैसे महफूज मकान से किसी ने छत उखाड फेंक दी हो, साया की परिभाषा हमें तभी गहरी समझ में आती है, आप ने पिताश्री की दीर्घावधि से निरन्‍तर सेवा की, इससे बढकर आपके हाथ में ईश्‍वर ने भला क्‍या रख छोडा था,आपके देवतुल्‍य पिताजी तो कब के मोक्ष प्राप्‍त् कर चुके होंगे, भला उनके लिए दुआ के लिए अनुरोध कैसा, बंधु, पुण्‍यात्‍मा की स्‍म़तियां ही हमारा वह धन है जो ईश्‍वर भी छीन नहीं सकता, आपके पिताश्री को नमन बारम्‍बार नमन

ओम पुरोहित'कागद' said...

भाई सुनील जी,
पिताश्री के निधन से आपके जीवन में जो रिक्तता आई है वह अपूर्णीय है !ईश्वर आपको एवम आपके परिवार को सम्बल दे !
आदरणीय पिताजी को सादर श्रद्धांजलि - ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे एवम अपने श्री चरणों में स्थाई स्थान दे !
आपके पिताश्री की आत्मा को मेरा नमन !