अक्षय मोती
पूज्य पिताजी को समर्पित मेरी अभिव्यक्ति
Friday, August 19, 2011
तीन हाइकु
हाइकू
(१)
खूब बरसे
विरह में सावन
लिए ये नैन !
(२)
बचपन तो
कुम्हार का है चाक
ज्यूं चाहो घड़ो !
(३)
सींचा है खूब
मेह ने इन सूखे
दरख्तों को तो !
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-सुनील गज्जाणी
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