Tuesday, June 18, 2013

लघुकथाएँ

                                    सुनील गज्जाणी की दो लघुकथाएँ

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                                     नई कास्‍टयूम

सभागार में मौजूद भीड़ में बेहद उत्‍सुकता थी। भीड़ मे चर्चा का विषय था चर्चित फैशन डिजाइनर की आज नई फीमेल कास्‍टयूम का प्रर्दशन होना। हाई सोसायटी वाली महिलाए अपने बदन दिखाऊ भड़कीले कपड़े पहने ज्‍यादा उत्‍साहित थी। कुछ समय पश्चात् डिजाइनर अपनी नई कास्‍टयूम डिजाईन पहने महिला मॉडल के साथ कैटवॉक करते मंच पे आ गया। पूरा सभागार भौचक्‍का रह गया तालियाँ आघी अधूरी बज कर रह गई। कैमरों की फ्‍लैशें एक बार थम सी गई। सभागार में कानाफूसियां गूंजने लगी। ये क्‍या नई कास्‍टयूम है, ऐसी क्‍या हमारी सोसायटी में पहनते है, क्‍या बुद्धि सठिया गई। पब पार्टियों में क्‍या ये कास्‍टयूम पहन कर जाएगे हम लोग। वे महिलाएं आपस मे बड़बड़ाती हुर्ह सभागार से बाहर निकलने लगी। पारम्‍परिक कॉस्‍ट्‌यूम चुन्‍नी से माथा ढंका सलवार सूट पहने नजरें नीची किए मॉडल के साथ डिजाईनर अभिवादन मुद्रा में खड़ा था।
 सुनील गज्जाणी

                                चुनाव

गृहमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में एक कुख्‍यात अपराधी गुट और पुलिस दल के बीच जबरदस्‍त गोलीबारी हुई। इस गोली बारी मे गुट के कुछ साथियों के साथ सरगना व कुछ पुलिस वाले भी मारे गए। टी.वी. पे खबर देख गृहमन्‍त्री बेहद व्‍यथित हो गए खाना बीच में छोड़ दिया।
‘‘क्‍या हुआ अचानक आपको, जो निवाला भी छोड़ दिया। राज्‍य मे आज से पहले भी ऐसी कई बार घटना हुई है, जिसे कभी आपने इतने मन से नही लिया।'' पत्‍नी बोली।
‘‘ऐसी घटना भी तो मेरे साथ पहली बार हुई है।''
‘‘मैं समझी नहीं।''
‘‘जो सरगना मरा है, उसी के दम पे तो मैं चुनाव जीतता आया हूँ।'' गृहमन्‍त्री जी हाथ धोते बोले।

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सुनील गज्जाणी