(1)
नौकरी
वो जगह जगह से ज़ख्मी हो कर खूंखार कुत्तो के बीच से नन्हे पिल्लै को बचा लाया , वहां एकत्रित हुए लोगो ने उसके पशु प्रेम पे उसे शाबाशी दी , खूब सराहा ! मगर वो अपने ज़ख्मो को भूल सोच रहा था '' अगर पिल्लै को कुछ हो जाता तो मालिक मुझे नौकरी पे थोड़े ही रखते ,मुझे नौकरी के लिए फिर दर दर भटकना पड़ता !''
सुनील गज्जाणी
(2)
छः रुपये
'' महीने का हिसाब किताब बिगड़ गया है चीनी लेने गयी थी दुकानदार बोला , पेंतीस रुपये किलो हो गयी है छः रुपये और दो , मैं वापिस आ गयी ... पैसे और नहीं ले गयी थी मैं .. होते भी कहाँ से , सब्जी वाले का , आटे वाले का , दूध वाले . गुड्डू कि फीस सभी जोड़ कर देख लिया किसी में से भी छः रुपये नहीं बचता ! हाँ , वे सभी बोल रहे थे कि हम भी पैसे बढाएंगे , हम लायेंगे कहाँ से ? आप के सेठ के पास गयी थी छः रुपये लेने , तो बोला '' रुपये छः लो या सौ , ब्याज बराबर लगेगा और बोला कि तुम्हारे पति कि बिमारी के इलाज़ के वास्ते वैसे भी उधार बहुत दे दिया , अगर वो थोड़े थाडे भी ठीक हो गए होतो काम पे भेजो ताकि क़र्ज़ उतरे '' ..... मैं अपना सा मुँह लिए चली आई '' सुनो ! तुम्हारी नौकरी छठे वेतन में नहीं आती क्या ? जहाँ भी देखो इसी कि चर्चा सुनने को मिलती है , वैसे ये है क्या ? खैर .. अभी मतलब कि बात करू कि मैं ये छः रुपये किस खर्चे में से निकालू बताओ ना ? ''
सुनील गज्जाणी
नौकरी
वो जगह जगह से ज़ख्मी हो कर खूंखार कुत्तो के बीच से नन्हे पिल्लै को बचा लाया , वहां एकत्रित हुए लोगो ने उसके पशु प्रेम पे उसे शाबाशी दी , खूब सराहा ! मगर वो अपने ज़ख्मो को भूल सोच रहा था '' अगर पिल्लै को कुछ हो जाता तो मालिक मुझे नौकरी पे थोड़े ही रखते ,मुझे नौकरी के लिए फिर दर दर भटकना पड़ता !''
सुनील गज्जाणी
(2)
छः रुपये
'' महीने का हिसाब किताब बिगड़ गया है चीनी लेने गयी थी दुकानदार बोला , पेंतीस रुपये किलो हो गयी है छः रुपये और दो , मैं वापिस आ गयी ... पैसे और नहीं ले गयी थी मैं .. होते भी कहाँ से , सब्जी वाले का , आटे वाले का , दूध वाले . गुड्डू कि फीस सभी जोड़ कर देख लिया किसी में से भी छः रुपये नहीं बचता ! हाँ , वे सभी बोल रहे थे कि हम भी पैसे बढाएंगे , हम लायेंगे कहाँ से ? आप के सेठ के पास गयी थी छः रुपये लेने , तो बोला '' रुपये छः लो या सौ , ब्याज बराबर लगेगा और बोला कि तुम्हारे पति कि बिमारी के इलाज़ के वास्ते वैसे भी उधार बहुत दे दिया , अगर वो थोड़े थाडे भी ठीक हो गए होतो काम पे भेजो ताकि क़र्ज़ उतरे '' ..... मैं अपना सा मुँह लिए चली आई '' सुनो ! तुम्हारी नौकरी छठे वेतन में नहीं आती क्या ? जहाँ भी देखो इसी कि चर्चा सुनने को मिलती है , वैसे ये है क्या ? खैर .. अभी मतलब कि बात करू कि मैं ये छः रुपये किस खर्चे में से निकालू बताओ ना ? ''
सुनील गज्जाणी