(१)
पिया कंठों से
पिया मांग के तो
पिया तो पिया !
(२)
मानव मानो
फूला हुआ गुब्बारा
दंभ काहे का !
(३)
ठाठ से सोया
बेटी विदा कर वो
गंगा नहाया !
(४)
दीपक बुझे
रे मानव तन के
ये दिवाली है !
(५)
फिजाएं गूंजी
किलकारियाँ नहीं
कैसी दिवाली ?
(६)
माँ कि दिवाली
देख सुखी कोख के
दरबार से !
(७)
चुल्हा मौन है
आरक्षण युद्ध में
कैसा ये फाड़ ?
(८)
ठण्ड जोरो पे
नेता तापते हाथ
जलता देश !
(९)
प्रदूषण तो
घोटाले ही घोटाले
तौबा रे तौबा !
(१०)
आईना देखा
स्वयं को मैंने नहीं
मुद्दे ही दिखे !
***
सुनील गज्जाणी
14 comments:
गिनती के शब्दों से पूरी बात कहने की मुश्किल कला "हाइकु" को आपने साध लिया है...बधाई...प्रत्येक हाइकु अपने आपमें एक कहानी बयां करता है और ये ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है...बहुत कम लेखक इस कला को साध पाए हैं...आपको बधाई देता हूँ...
नीरज
भाई सुनील गज्जाणी जी आपके सभी हाइकु अच्छे हैं । आपने पूरे समाज का दुख-दर्द हर्ष -विषाद इन हाइकुओं में समेट दिया है ।ये हाइकु ज़्यादा पसन्द आए-
ठण्ड जोरो पे
नेता तापते हाथ
जलता देश !
(९)
प्रदूषण तो
घोटाले ही घोटाले
तौबा रे तौबा !
हार्दिक बधाई !
मानव मानो
फूला हुआ गुब्बारा
दंभ काहे का !
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ठण्ड जोरो पे
नेता तापते हाथ
जलता देश !
आपके ये हाइकु ज्यादा अच्छे लगे। बधाई !
THAND ZORON PE
NETA TAAPTE HAATH
JALTA DESH
KHOOB ! BAHUT KHOOB !!
SABHEE HAIKU ACHCHHE HAIN
DHERON SHUBH KAMNAAYEN
bahut badhiyaa ...
सुनील जी के काव्य की सबसे बड़ी खूबी है कि वो मानव मन की व्यथा-कथा के साथ-साथ जो था और जो है उसके बीच जो खो गया है, जो होना चाहिए, जो सच है, उस अभाव को जोड़कर एक सुन्दर समाज की कल्पना को बड़े ही भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत करते है और उनके शब्दों की मारक क्षमता इतनी तीक्ष्ण और सटीक होती है कि एक बार में ही दिल में उतर जाती है और सोचने को मज़बूर कर देती है. अनावश्यक और निर्थक शब्दों से बचाते हुए आपके ये हाइकू इसीलिये इतने प्रभावशाली बन पड़े हैं. अगर मैं किसी एक अथवा दो हाइकू को कोट करूं तो ये समस्त हाइकू के साथ अन्याय होगा. हर शब्द यमक अलंकरण के साथ अपने में कई-कई अर्थ लिए है जैसे कि ये हाइकू-
पिया कंठों से
पिया मांग के तो
पिया तो पिया !
यहाँ सुनील जी ने इन पंक्तियों में दो अर्थ प्रकट हो रहे हैं.... एक पिया 'प्रियतम' और दूसरा 'पीना'
आपकी लेखनी की गहराई में जितना जायेंगे हर बार उतने ही भाव रत्न भिन्न-भिन्न रंगों में पायेंगे.
आपको और आपकी लेखनी को नमन ! आप साहित्य जगत में बहुत ऊंचे आयाम स्थापित करेंगे, इन्ही शुभकामनाओं के साथ
सादर नमन !
सुनील जी आपके सभी हाइकु अच्छे हैं
आईना देखा
स्वयं को मैंने नहीं
मुद्दे ही दिखे !
Rochak haikoo
ठण्ड जोरो पे
नेता तापते हाथ
जलता देश !
***
कमाल की हैं
रचनाएं आपकी
सोने में गंध!
ठण्ड जोरो पे
नेता तापते हाथ
जलता देश !
बहुत सुंदर चंद शब्दों में जो भाव भरे वे छलका रहे है गहरे सागर की गहराई.
आईना देखा
स्वयं को मैंने नहीं
मुद्दे ही दिखे !
बहुत सुन्दर कहन है आपकी. ब्लॉग भी अच्छा बन गया है. बधाई स्वीकारें
अच्छा काम !बधाई !
अभी हाइकू छंद [जापानी]में और डूबने की दरकार है ! आप अज्ञेय , नन्दकिशोर आचार्य एवम सांवर दइया के हाइकू पढें --इसे अन्यथा न लें !
सभी हाइकु अच्छे हैं
nice blog
http://shayaridays.blogspot.com
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