{ १}
एक शब्द नहीं बोली
रख लिया पत्थर
ह्रदय पे
वेदना सब कुछ कह गए
शब्द
आँखों से खीर खीर !
{ २ }
नन्ही बूंदें
अब भी अपना अस्तित्व
दर्शा रही है
टीलों के मुहानों पर
मानों, मुख चूम रही हो
तब तक
जब तक पांवों से अछूती रहे !
{३}
ढेरों
पीपल के टूटे पत्ते
पानी पे यू आलिंगंबध
मानो ,
सहला रहे
मलहम लगा रहे हो
तालाब दिन भर
चिलचिलाती धूप में
कितना जला है बेचारा !
19 comments:
bejod bhaw
बेजोड़ रचनाएँ हैं सुनील जी...तीसरी वाली को तो बार बार पढ़ रहा हूँ...कमाल के शब्द और भाव गूंथे हैं इस रचना में...वाह
नीरज
नन्ही बूंदें
अब भी अपना अस्तित्व
दर्शा रही है
टीलों के मुहानों पर
मानों, मुख चूम रही हो
तब तक
जब तक पांवों से अछूती रहे !
kyaa baat hai ,bahut badhiya rachna teesree wali bhi bahut badhiya hai
badhai !
रचनायें सार युक्त हैं।शब्द-चयन सुन्दर है ।बधाई ।
सुधा भार्गव
एक शब्द नहीं बोली
रख लिया पत्थर
ह्रदय पे
वेदना सब कुछ कह गए
शब्द
आँखों से खीर खीर !....
sundar vimb
"ढेरों
पीपल के टूटे पत्ते
पानी पे यू आलिंगंबध
मानो ,
सहला रहे
मलहम लगा रहे हो
तालाब दिन भर
चिलचिलाती धूप में
कितना जला है बेचारा !"
सुनील जी,आपकी तीनों ही क्षणिकाएँ एक से बढ़कर एक हैं.आखिरीवाली तो लाजवाब लगी मुझे.बधाई.
भाव की दृष्टि से तीसरी रचना अत्यन्त प्रभावशाली है।
ढेरों
पीपल के टूटे पत्ते
पानी पे यू आलिंगंबध
मानो ,
सहला रहे
मलहम लगा रहे हो
तालाब दिन भर
चिलचिलाती धूप में
कितना जला है बेचारा !
bahut sunder
rachana
hmmmmmm...kitna jalaa hai bechaara..
wah sunil ji wah......sadhuwaad
बहुत सुंदर अनुभूतियां
तीसरी कविता का रूपक अच्छा है किंतु वह और माँजने योग्य है।
तीनों पहले भी पढ़ी हैं। तीसरी के भाव स्पष्ट हैं। बाकी दो उलझी हुई हैं। छोटी रचनाएं तभी प्रभावी होती हैं जब उनके भाव सरल और एकदम स्पष्ट हों।
chhotee magar saar-garbhit hai ye kavitaayen . badhai...shubhkamanae...
एक बात बताएं कि शब्द है खिरना, आपने प्रयोग किया है खीर खीर। खीर तो दूध से बनी मिठाई है। क्या मैं सही हूँ?
बहुत सुन्दर रचना ..बधाई.
_____________________________
पाखी की दुनिया : आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें
सुनील जी ..पहली बार आपके ब्लोग पर आई हूँ ..बहुत अच्छा लगा ...
प्रिय सुनील जी .आप की मार्मिक कविताओं के लिए हार्दिक बधाई .
behad sundar...
कमाल के शब्द और भाव गूंथे हैं इस रचना में.
Post a Comment