जो माँ को शादी की पचासवीं वर्ष गांठ पर
बाबू जी ने उपहार में दी थी !
चंद उंगल के मेरे जन्म वाले कपडे
माँ के हाथो बने
गुड्डू की गुड़िया
धरोहर सी बनी मेरे घर की ये वस्तुएं
कबाड़ में पड़ी !
यादे , फिर उभार दी ह्रदय पर दीवाली ने
झाड़ -पौंछ , रंगाई -पुताई बीच !
सुनील गज्जाणी
3 comments:
aap ko dipotsv ki hardik shubhkamnayen
deepawali kee hardik shubhakamanayen ! bahut dinon ke baad padhane ko mila hai .
badhiya kavita diwali par. jyotiparv kee hardik shubhkamna !
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